Hindi Poem from today's murli. Aaj ki gyan murli se ek Kavita 1 Feb 2019. This poem is daily written on day's murli by BK Mukesh (Rajasthan). To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 1.2.2019 *
अपने मोह की रगों को बच्चों अब तोड़ते जाना
पुराने संसार की चीजों में तुम रुचि नहीं जगाना
मस्त कलन्दर वही हैं जो रूहानी मस्ती में रहते
राजाई पाने की मस्ती में वे हर पल झूमते रहते
बुद्धि में स्मृति रहती फकीर से अमीर बनने की
मन में खुशी मनाते वापस अपने घर चलने की
ज्ञान सागर परमपिता शिव हीरे जैसा कहलाता
पत्थरबुद्धि से पारसबुद्धि हमें शिवबाबा बनाता
देवताओं समान होते जब हम बच्चों के संस्कार
बाप से मत लेने की हमें ना रहती कभी दरकार
बाप सदा यही कहते बच्चों अशरीरी बन जाओ
योगाग्नि में जलकर तुम खरा सोना बन जाओ
जादूगर बाप करते बच्चों से सौदा बड़ा कमाल
कौड़ी लेकर हीरे मोतियों से कर देते मालामाल
अपने अन्दर ज्ञान की तुम ताक़त भरते जाओ
चुम्बक बनकर अपने में कशिश जगाते जाओ
पैगम्बर बनकर देना है सबको बाप का पैगाम
राजाई स्थापन करके अब चलना है निज धाम
मास्टर ज्ञान सागर तुम खुद को सदा समझना
ज्ञान की ताकत भरकर रूहानी चुम्बक बनना
सतगुरु हो बदनाम ऐसा काम कभी ना करना
कुछ भी हो जाए किंतू नेत्रों से रुदन ना करना
ज्ञान के साथ गुणों को कर्म व्यवहार में लाओ
सर्वगुणों से सम्पन्न बनकर गुणमूर्त कहलाओ
मन से शक्ति वाणी से ज्ञान कर्मों से गुण दान
यही तीन विधियां बनाए अपना जीवन महान
*ॐ शांति*
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