Hindi Poem from today's murli. Aaj ki gyan murli se ek Kavita 4 March 2019. This poem is daily written on day's murli by Brahma Kumar (BK) Mukesh (from Rajasthan). To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 4.3.2019 *
हम जैसा भग्यशाली कोई और नजर ना आता
खुद ज्ञान सागर बाप टीचर बनकर हमें पढ़ाता
ईश्वरीय सेवा करने का जितना शौक बढ़ाओगे
देह का भान मिटेगा और मोहमुक्त बन जाओगे
बाप नहीं है देहधारी वो सदा विदेही कहलाता
खुद को विदेही समझना दिल को बड़ा सुहाता
क्या से क्या हम बनने वाले यही स्मृति जगाओ
देवी देवताओं का पवित्र गृहस्थ धर्म अपनाओ
अपने भारत को बच्चों तुम सतोप्रधान बनाना
ज्ञान सुनाकर सबको तुम घोर निद्रा से जगाना
पवित्रता के गुण को अच्छी तरह धारण करना
कोई छी छी काम बच्चों कभी नहीं तुम करना
मोह की सब रगें तोड़कर सेवा करके दिखाओ
सूर्यवंशी राजाई की प्राइज बाबा से तुम पाओ
ज्ञान सागर विदेही बाप से रोज पढ़ाई पढ़ना
बाप समान विदेही बनने का पुरुषार्थ करना
श्रेष्ठ वृत्ति का व्रत लेकर तुम शिवरात्रि मनाओ
अपनी कमजोर वृत्तियाँ सदा के लिए मिटाओ
शुभ वृत्ति द्वारा श्रेष्ठ बोल और श्रेष्ठ कर्म करना
विश्व परिवर्तन का कार्य सहज सम्पन्न करना
दिल में खुशी का सूर्य जो रखते सदा उगाकर
वही रखते जीवन को खुशनुमा सदा बनाकर
*ॐ शांति*
---- Useful links ----
.
Comments