Hindi Poem from today's murli. Aaj ki gyan murli se ek Kavita 25 Feb 2019. This poem is daily written on day's murli by Brahma Kumar (BK) Mukesh (from Rajasthan). To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 25.2.2019 *
आत्म अभिमानी बनने से दैवी गुण आते जाएंगे
अपार खुशी रहेगी क्रिमिनल ख्याल मिट जाएंगे
स्मृति रखो हम दैवी स्वराज्य स्थापन करने वाले
मृत्युलोक छोड़कर हम अमरलोक में जाने वाले
ये स्मृति रखने से तुम्हारी चलन सुधरती जाएगी
दैवी गुण जागृत होंगे और खुशी बढ़ती जाएगी
हम बच्चे थे रामराज्य और सूर्यवंशी घराने वाले
बहुत जल्द फिर से हम उसी राज्य में जाने वाले
रावण ने ही छीना था सूर्यवंशी राम राज्य हमारा
बाप ने आकर समझाया भूलो रावण राज्य सारा
सदाकाल के सुख की दुनिया में हमको है जाना
यही निश्चय जगाकर बच्चों सच्ची खुशी मनाना
रावण ने यहां आकर हमारी चाल चलन बिगाड़ी
सुख से भरी दुनिया हमारी उसने आकर उजाड़ी
बेहद के बाप खुद ही आकर दैवीगुण सिखलाते
इसी खुशी का बच्चों तुम पारा क्यों नहीं चढ़ाते
सतयुग के दैवी गुण बच्चों फिर से धारण करना
सर्वगुण सम्पन्न बनने की तुम पूरी मेहनत करना
सुखदाता बाप के बच्चों तुम औरों को सुख देना
अवगुणी आदतों के वश दुख ना किसी को देना
बहुतों का कल्याण करना वाणी मीठी बनाकर
जगतजीत देवता बनना विकारों पर जीत पाकर
हम बच्चों की भाग्य रेखा स्वयं भगवान खींचते
श्रेष्ठ भाग्य से अपने बच्चों की जन्मपत्री सींचते
ब्राह्मणों के जीवन में सबकुछ अच्छा होने वाला
स्वयं भाग्य विधाता हमें इसकी गारंटी देने वाला
एक बाप से सर्व संबंधों का रस तुम लेते जाओ
एकरस स्थिति का अनुभव हर पल करते जाओ
*ॐ शांति*
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