Hindi Poem from today's murli. Aaj ki gyan murli se ek Kavita 8 Feb 2019. This poem is daily written on day's murli by Brahma Kumar (BK) Mukesh (from Rajasthan). To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 8.2.2019 *
निर्वाणधाम से बाप आये सबको उपराम बनाने
वानप्रस्थी अवस्था बनाकर वाणी से परे ले जाने
अच्छा पुरुषार्थी स्टूडेंट सदा खुद से बात करता
वो विद्यार्थी ईश्वरीय ज्ञान की सूक्ष्म पढ़ाई करता
जांच खुद की करके वो आसुरी स्वभाव मिटाता
अपना रजिस्टर रखकर सदा दैवी गुण अपनाता
आत्मा भाई देखने की दृष्टि पक्की करता जाता
क्रिमिनल ख्यालातों से वो खुद को मुक्त बनाता
अपनी दिल से शरीर छोड़कर हम सबको जाना
नई दुनिया के नए पवित्र रिश्तों में वापस आना
घर जाने की बच्चों अब तुम करना ऐसी तैयारी
बुद्धि से मिट जाए पुरानी दुनिया की स्मृति सारी
बुद्धियोग के बल से जो खुद को पावन बनाएंगे
केवल वही बच्चे नई दुनिया सुखधाम में जाएंगे
बच्चों से पुरुषार्थ कराकर बाप ही पावन बनाते
हिसाब किताब चुक्तु कराकर अपने घर ले जाते
अपनी बुद्धि से खानपान प्रति आसक्ति मिटाना
देवता बनने आए हम ये खुद को स्मृति दिलाना
बाप की याद बच्चों की बुद्धि में ऐसी बस जाए
बाप के बदले और किसी की याद तुम्हें ना आए
हर घड़ी को अन्तिम समझकर रहना तुम तैयार
विनाश होने में वक्त लगेगा मत करना ये विचार
निर्मोही निर्विकल्प और निर्व्यर्थ खुद को बनाओ
तीव्र पुरुषार्थ करके उपराम एवररेडी बन जाओ
ईश्वरीय मर्यादाएं अगर अपने हाथों में उठाओगे
बाप की दृष्टि में तुम बच्चे क्रोधी ही कहलाओगे
*ॐ शांति*
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