Hindi Poem from today's murli. Aaj ki gyan murli se ek Kavita 7 Feb 2019. This poem is daily written on day's murli by Brahma Kumar (BK) Mukesh (from Rajasthan). To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 7.2.2019 *
सिर्फ याद का बल ही बच्चों पावन तुम्हें बनाता
ना याद करे जो बाप को वो कड़ी सजाएं खाता
बाप को याद करके बच्चों पद ऊंचा तुम पाओ
धर्मराज की सजाओ से अपने आपको बचाओ
बाप रूहानी सर्जन जो बच्चों को धीरज दिलाते
पुराने रोग के कारण मन में ख्याल विकारी आते
जो दवा तुम्हें दी है उससे रोग सभी मिट जाएंगे
थोड़ा सहन करो बच्चों सुख के दिन भी आएंगे
इस छी-छी दुनिया में हमें थोड़ा ही वक्त बिताना
लायक बनकर हम सबको नई दुनिया में जाना
बाप को याद ना करने वाले पापात्मा बन जाते
ऐसे बच्चे पाप कर करके बाप की निंदा कराते
हर रोग को बाहर निकालेगा यही ईश्वरीय ज्ञान
योग बल से पावन बनो समझाते खुद भगवान
बाप कहते बच्चों से कोई विकर्म अब ना करना
अपने अन्दर देवताओं वाले गुण धारण करना
प्रेत आत्मा का मन में संकल्प कभी ना लाओ
बाप की याद में रहकर इन्हें खत्म करते जाओ
देवताई गुण अपनाकर मिटाओ ईविल संस्कार
पावन बनो तुम ऐसे जो ना सताए कोई विकार
ज्ञानामृत पीकर और पिलाकर बनो हीरे समान
काम विकार को हराकर बन जाओ सतोप्रधान
सहज योग के द्वारा हर साधन पर विजय पाओ
अनासक्त होकर सभी साधन उपयोग में लाओ
साधनों की इच्छा वाला अच्छा नहीं बन पाएगा
साधन पाने की मेहनत में सारा समय बिताएगा
हर साधन के आकर्षण से खुद के मुक्त बनाओ
सहजयोग के द्वारा हर साधन पर विजय पाओ
स्वयं सन्तुष्ट रहकर जो सबको सन्तुष्टि दिलाते
बाप समान ऐसे बच्चे ही सन्तुष्टमणि कहलाते
*ॐ शांति*
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