Hindi Poem from today's murli. Aaj ki gyan murli se ek Kavita 28 Feb 2019. This poem is daily written on day's murli by Brahma Kumar (BK) Mukesh (from Rajasthan). To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 28.2.2019 *
पुरुषार्थ करके बच्चों खुद को होली हंस बनाओ
लक्ष्मी नारायण समान सम्पूर्ण पावन बन जाओ
सबकुछ छोड़कर बाप की याद में समय लगाओ
अपने अन्दर से विकारों का पूरा कचरा मिटाओ
याद की यात्रा बच्चों को कौड़ी से हीरा बनाएगी
केवल यही विधि सतयुग में पद ऊँचा दिलाएगी
पतित से पावन बनाने का कर्तव्य बाप निभाता
यही जिम्मेदारी निभाने बाप परमधाम से आता
संगमयुग में आकर बच्चों ईश्वरीय मत अपनाओ
खुद को बगुले से हँस और कांटे से फूल बनाओ
रेज़गारी समान बातों में अब समय नहीं गंवाओ
बाप को याद करके अन्दर का किचड़ा मिटाओ
पुरानी दुनिया से बच्चों करना बेहद का सन्यास
कब्रिस्तान बनी दुनिया से करो पूरा ही उपवास
बाप की याद से पुराने हिसाब-किताब चुकाओ
श्रीमत पर चलकर सबको कांटे से फूल बनाओ
माया ही बच्चों की महसूसता की शक्ति मिटाती
परवश बनाकर गलत को सही अनुभव कराती
केयरफुल रहकर माया के वार खुद को बचाओ
अपनी मन बुद्धि बाप की छत्रछाया में ले जाओ
सहजयोगी आत्माओं को हर रोज देखते जाओ
उनके वाइब्रेशन से खुद को सहजयोगी बनाओ
*ॐ शांति*
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