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16 कला का रहस्य (16 Kala)

सोलह प्रकार के रूहानी श्रृंगार और उनका अर्थ | 16 divine virtues of Soul and its resemblance as an actual Divine Ornaments that we wear in Satyug (Golden age).

16 kala - 16 divine virtues


यह हमारे १६ दिव्य गुण है - जो मुझ आत्मा में सतोप्रधान अवस्था में है - यह गुण हम सभी में थे, जब हम सतयुग (स्वर्ग) में थे।

१. पवित्रता (article)

२. मधुरता

३. धैर्यता

४. संतुस्टता

५. हर्षितमुखता

६. नम्रता

७. आज्ञाकारी

८. परोपकार

९. नियमित्ता

१०. उदारता

११. आत्मिक प्रेम

१२. सुभ भावना

१३. सहनशीलता

१४. क्षामशील

१५. रमणीकता

१६. सत्यता

Shri Lakshmi and Shri Narayan

इस लेख में सोलह रूहानी श्रृंगार को पैरों से मस्तक के क्रम में बताया गया हैं: Or visit 7 virtues of Soul explained (Hindi) - A YouTube playlist

1. बिछुए – केवल प्रभु की श्रीमत अनुसार कदम रखने के

2. घुंघरू – सदा खुशी में नाचते पैरों की

3. करघनी – कमर में “दृढ़-निश्चय” रूपी प्रमुख गुण की

4. वस्त्र – पवित्रता और दिव्य गुणों से सजे-सजाये

5. बाजूबन्द – हमेशा शिव बाबा की सेवा अर्थ मददगार बनने के

6. कंगन – हाथों में प्रभु की मर्यादाओं की रक्षा के

7. अंगुठी – माया की गृहचारी से रक्षा करने वाली अष्ट शक्तियों की धारणा की

8. माला – “वैजयन्ती माला” विजयी रत्न बनने की

9. लाली – होंठों से मधुर बोल और मुस्कान की

10. चमक – चेहरे से सदा परमात्मा शिव के गुणों का साक्षात्कार कराने वाली

11. नथनी – “एक बाप के सिवा दूसरा न कोई” सदा एक ही स्मृति की

12. कुण्ड़ल – केवल शिव बाबा से ज्ञानामृत सुनने का

13. काजल – रूहानी और पवित्र दृष्टि का

14. ताज – बेहद सेवा की जिम्मेदारी और पवित्रता की रौशनी का

15. तिलक – मस्तक पर सदा पद्मा-पद्म सुनहरे भाग्य का

16. बिंदी – आत्मिक रूप की स्व-स्मृति की

ओम् शान्ति.

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