
सर्वश्रेष्ठ पार्ट बजाओ
𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi
भृकुटि सिंहासन पे बैठकर, प्रकाश मैं फैलाऊँ
अपना दिव्य रूप देखकर, मन ही मन हर्षाऊँ
अपने तन से न्यारा होकर, मूल वतन में जाऊँ
परमपिता की गोद में, ममता भरा आराम पाऊँ
बाबा का वरदानी हाथ, मैं अपने सिर पर पाऊँ
बाबा के रूहानी झूले में, बैठकर झूलता जाऊँ
कहा बाप ने बच्चे तुम्हें, जीवनमुक्ति देने आया
गुण और शक्तियों से तुम्हें, भरपूर करने आया
मेरी यादों की अग्नि में, विकार सभी जलाओ
रूहानी सुख शांति का, अधिकार मुझसे पाओ
बाप की याद में खोकर, निरन्तर मौज मनाओ
देह की सारी विकृतियाँ, बच्चों जड़ से मिटाओ
पवित्रता की किरणों से, खुद को भरपूर बनाओ
दिव्य गुणों से सजकर, पावन धरती पर आओ
कहा बाप ने बच्चों तुम हो, मेरे गुलाब रूहानी
पवित्रता की खुशबू ही, तुम्हें चारों और फैलानी
पवित्रता के सौन्दर्य से, बाप को मोहित करना
इसी विधि से स्वर्ग का, अधिकार प्राप्त करना
तुम्हारे हर सुख की चिंता, करता खुद भगवान
जरा सोचो बच्चों तुम्हारा, भाग्य कितना महान
गोद में बिठाकर तुम्हें, बनाऊँ फूलों के समान
21 जन्मों की राजाई, लिखता हूँ तुम्हारे नाम
विकारों के दलदल से, बच्चों तुम निकल जाओ
स्वर्ग की राजाई पर, अपना अधिकार जमाओ
प्रभु संग के रंग में खुद को, पावन गोरा बनाओ
सृष्टि नाट्यमंच पर अपना, सर्वोत्तम पार्ट बजाओ ||
" ॐ शांति "
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