top of page
old paper bg.jpg

राखी पर कविता

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

पवित्रता की राखी लेकर, बाबा आया हमारे पास
बांधकर राखी करवाता, पाँच विकारों से संन्यास

मेरी कलाई को जब भी छूए, पवित्र राखी की डोर
मैं देखूं बाबा के नयनों में, होकर पूरा भाव विभोर

भूल गया मैं दैहिक भान, मेरी आत्म चेतना जागी
दिव्य गुण अपनाये मैंने, विकारों से मैं हुआ वैरागी

मेरी दृष्टि बनी पवित्र, दिव्यता का हो रहा संचार
देह अभिमान के रोग का, सहज हो रहा उपचार

रक्षा बंधन के अवसर पर, ये कसम खायें मिलकर
इस दुनिया में रहेंगे हम, कमल पुष्प सा खिलकर

पवित्रता की प्रतिज्ञा को, हम याद रखेंगे बारम्बार
कभी नहीं आने देंगे, अपने जीवन में पाँच विकार

नहीं रखेंगे किसी के प्रति, मन में कोई वैर विरोध
छोड़कर सारी व्यर्थ बातें, करते रहेंगे आत्म शोध

विश्व सेवा में बीते अपने, जीवन का हर एक क्षण
दुनिया को पावन बना देंगे, करते हैं आज ये प्रण ||

" ॐ शांति "

Suggested➜

golden waves in black bg.png

Get Help through the QandA on our Forum

bottom of page