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रक्षा बन्धन का त्योंहार
𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi
राखी का त्योंहार, पवित्रता की याद दिलाता
पवित्र दुनिया में जाने के, लायक हमें बनाता
मन को पूरा धोकर, विकारों की मैल मिटाता
प्रभु प्यार का पुष्प, हृदय आंगन में खिलाता
सब त्योंहारों में सर्वश्रेष्ठ, यही त्योंहार कहलाता
कल्प में केवल एक बार, ये पावन बनाने आता
बाबा आकर बच्चों के संग, रक्षा बन्धन मनाता
भाई भाई का रिश्ता, हम सबके अन्दर जगाता
यही सच्चा रक्षा बन्धन, हम सबको है मनाना
बाबा की श्रीमत पर, पावन को स्वयं बनाना
बाबा से प्यार का रिश्ता, हम सबको निभाना
बाबा की याद में खोकर, बाबा जैसा बन जाना
नहीं रहना एक पल भी, हमें बिना उसकी याद
कर लेना है खुद को, देह के बन्धनों से आजाद
कलाई पर बाँधी, पवित्रता की प्रतिज्ञा की डोर
दूर नहीं वो दिन जब, आयेगी सतयुग की भोर ||
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