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मान सम्मान की इच्छा से मुक्त

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

सबके मन में बैठी इच्छा, सबसे सम्मान पाने की
औरों के सामने खुद को, कुछ विशेष दिखाने की

जो जैसा है उसको वैसा ही, कर लो तुम स्वीकार
एकमात्र यही अपनाओ, सम्मान देने का संस्कार

देह के आधार पर सम्मान, नहीं करना स्वीकार
आध्यात्मिकता को बनाओ, सम्मान का आधार

अनादि रूप देखकर, करना तुम सबका सम्मान
देह देखकर ना करना, कभी किसी का अपमान

युद्ध हजारों किए हमने, मान अपमान के कारण
घर घर की कलह क्लेश का, एक यही है कारण

झूठे सम्मान से मुक्त होना, साक्षी भाव जगाकर
अपने बिन्दु स्वरूप में, रखना खुद को टिकाकर

बिन्दु रूप का ये अभ्यास, साक्षी भाव जगायेगा
झूठे सम्मान की, अभिलाषा से मुक्ति दिलाएगा ||

" ॐ शांति "

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