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यज्ञ से कैसे जुड़े  (How to Join, guidance in Hindi)

ब्रह्मा कुमारी या कुमार बनने के लिए दिशानिर्देश

परमात्म प्रेरणा-अनुसार, हम आपको इस अंतिम जन्म में पावन बनकर, सर्वशक्तिमान शिव परमात्मा (जो हमारे पारलौकिक पिता) से राजयोग के परमज्ञान को सीखकर (स्वर्णिम युग) का (वरसा) प्राप्त करने हेतु दिए गए श्रेष्ठ दिशानिर्देश प्रस्तुत करते हैं जिसके द्वारा व्यक्ति स्वयं का स्वामी बन जाता है। ब्रह्माकुमारी संगठन में शामिल होने के लिए यह चार कदम हैं।

Step 1: ७ दिवसीय राजयोग कोर्स

हमारा ७ दिवसीय राजयोग पाठ्यक्रम ही सम्पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान का आधार और सार है। और यह बी.के छात्र बनने का पहला कदम माना जाएगा। आप इस कोर्स को किसी भी नजदीकी बी.के सेंटर (राजयोग केंद्र) में कर सकते हैं या घर पर रहकर भी हमारे ऑनलाइन कोर्स सेक्शन के माध्यम से कर सकते हैं।

यह कोर्स क्या है?

7 दिनों का पाठ्यक्रम आत्मा के अस्तित्व की व्याख्या करता है (मैं कौन हूं?), परम आत्मा (ईश्वर), विश्व नाटक और 5000 वर्षों का उसका चक्र, मानवता के पतन और उत्थान की कहानी को जानते हुए, अंतर्दृष्टि के लिए कर्म का सार्वभौमिक नियम, और अंत में आप राजयोग की विधि और अभ्यास सीखेंगे, जो सर्वशक्तिमान परम आत्मा के साथ हमारा एक संबंध है। यह पाठ्यक्रम आगे की समझ की नींव है इसलिए यह पहला कदम जरूरी है।

Step 2: मुरली और पवित्रता की प्रतिज्ञा

जब आप पहले चरण (पाठ्यक्रम) को पूर्ण कर लेते हो , तो आप यह भी समझ जाएंगे कि मुरली क्या है

ऐसा कहा जाता है कि शेरनी का दूध केवल सोने के बर्तन में ही टिकता है (मतलब: दिव्य ज्ञान केवल शुद्ध बुद्धि में ही रहता है)। इसलिए अब, भगवान की पहली सलाह का पालन करना चाहिए, जो है 'पवित्र बनना'। सामान्य शब्दों में – पूर्ण ब्रह्मचर्य या ब्रह्मचर्य का पूरा पालन करें। पवित्रता सभी गुणों की जननी है। और ऐसी पवित्रता (मनसा, वाचा. कर्मणा) के बिना, किसी को ब्राह्मण (BK) नहीं कहा जा सकता है। बहुतों के लिए, विचारों में पवित्रता कठिन है। किन्तु समय के साथ मुरली में दिए गये अन्य निर्देशों का पालन करने से हमारी आंतरिक शुद्धता की अवस्था भी सुधरती है।

जीवन में
पवित्रता लाने का सबसे आसान तरीका यह सोचना है की हम सभी भाई-बहन, एक पारलौकिक पिता (परमपिता परमात्मा) की संतान हैं। अब आप शाश्वत अमृत का रसास्वादन लेने के लिए तैयार हैं।

मुरली क्या है?

हम रोज शिव बाबा की ज्ञान मुरली सुनते हैं। ये ईश्वर द्वारा उनके साकार माध्यम ब्रह्मा द्वारा कहे गए प्यार भरे शब्द और कड़े निर्देश हैं ( उन मुरलियों को साकार मुरली के रूप में जाना जाता है)। भगवान की मुरली रचना, रचयिता और हमारे ८४ जन्मों के संपूर्ण ज्ञान को समाहित करती है। यह आत्मा के लिए भोजन है। आत्मा को ज्ञान का भोजन चाहिए। जब हम इस ज्ञान का मंथन करते हैं, तो यह हमारा स्वयं का विवेक बन जाता है।

मुरली को सुबह और शाम की कक्षाओं में सभी बी.के केंद्रों पर पढ़ा जाता है। बहनें मुरली पढ़ती हैं। आप मुरली को pdf, htm और mp3format में भी ऑनलाइन एक्सेस कर सकते हैं। BabaMurli.com पर, MadhubanMurli.org और यहाँ

Step 3: अपनी बुद्धि को समर्पण करें

कई लोग हमसे पूछते हैं: ''मैं कैसे जुड़ सकता हूं और आपके समान हो सकता हूं?'' मैं यज्ञ में समर्पण कैसे हो सकता हूं ? इसलिए यह जानना जरूरी है कि समर्पण का मतलब किसी केंद्र में रहना नहीं है । वास्तव में यह बाबा की श्रीमत है कि आप शुद्ध रहें और अपने घरों में (अपने लौकिक परिवार के साथ) रहते हुए आध्यात्मिक पुरुषार्थ करें ।
 
''मैं केवल तुम्हारी बात सुनूंगा, तुम्हारे साथ टहलूंगा, भोजन करूंगा, बैठूंगा और सोऊंगा - यह वह वचन है जो तुम बच्चों ने मुझसे किया है'' -
शिव बाबा (मुरली 1967)
 
अपने मन को भगवान के सामने समर्पण करें। इसका मतलब है, उसकी दी हुई सलाह (श्रीमत) का पालन करना। श्रीमत क्या है? - श्रीमत वह मुरली है जिसका हम रोज अध्ययन करते हैं, अर्थात सुनते व पढ़ते हैं। मुरली को
4 विषयों (ज्ञान, योग, धारणा और सेवा) में विभाजित किया जाएगा, जिसमें से तीसरा विषय (धारणा) वास्तव में परमपिता शिव बाबा की श्रीमत है। अर्थात व्यावहारिक जीवन में दैवीगुणों को कैसे धारण कर चले और पाँच विकार (काम,क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार) व अन्य कमजोरियों पर कैसे विजय प्राप्त करे इसपर शिव बाबा की श्रीमत है।
 
एहसास होना कि स्वयं भगवान हम बच्चों को आप समान बनाने के लिए मुरली चला रहा है। जब आपको यह एहसास होता है, तो यह समय की बात है कि आप अपने मन को भगवान के सामने समर्पण कर उनकी श्रेष्ठ शिक्षाओं (श्रीमत) को सुनें।
 
जो मुरली में दी गई शिक्षा (श्रीमत) का पालन करता है, उन्हें ही हम समर्पित आत्मा कहेंगे। इसे मन का समर्पण कहा जाता है। हमारे
जीवनी शाखा (Biography section) पर ऐसी महान आत्माओं के बारे में जानें।

Step 4: समर्पण पत्र (स्वैच्छा से)

मुरली में बाबा द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, आपको एक ब्राह्मण (बी.के) तब माना जाएगा, जब आप पहले 3 चरणों का 80% पालन करते हैं। लेकिन अगर आप अपना नाम और अन्य विवरण हमें ईश्वरीय रिकॉर्ड में देना चाहते हैं, तो आप इस समर्पण पत्र (अपने स्थानीय केंद्र को हस्ताक्षरित पत्र भेजकर), या बीके फॉर्म के रूप में ऑनलाइन रजिस्टर के माध्यम से कर सकते हैं।

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