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याद करो और याद दिलाओ

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

बच्चों के लिए बनता हूँ, मैं निराकार से साकार
तुम भी बनो मेरे लिए, अब साकार से निराकार

बनकर निर्विकारी चुकाओ, मेरे प्यार का रिटर्न
पतित विकारी दुनिया से, अब तो ले लो यू टर्न

बाप का साक्षात्कार, निराकारी बनकर कराओ
आत्मस्मृति के बल से, विघ्नों के बादल हटाओ

धारण करो अपने अंदर, अंगद समान अचलता
भर लो खुद के अन्दर, महावीर समान सबलता

कोई भी परिस्थिति तुम पर, कर ना पायेगी वार
हार मानकर वो करेगी, तुम्हारे सामने नमस्कार

एक बल एक भरोसे पर, स्वयं को तुम चलाओ
सबके जीवन में तुम, ज्ञान का प्रकाश फैलाओ

बाप के संग के रंग में, तुम खुद को रंगते जाओ
अपनी रूहानी सूरत से, बाप के गुण झलकाओ

सहज रास्ता बना बनाया, इस पर चलते जाओ
याद करो बाबा को, और सबको याद दिलाओ ||

" ॐ शांति "

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