
सतयुगी राज्य का मेवा
𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi
शिव बाबा से बच्चों को, भरपूर मिलता है प्यार
सबके मन में बजती रहती, खुशियों की झंकार
बाबा का प्यार कभी, जुबां से बतलाया न जाए
खुशियाँ इतनी लुटाता, जो गिनाई कभी न जाए
प्यार के संग बच्चों को, बाप देते रूहानी शिक्षा
शिक्षा देकर हम बच्चों की, माया से करते रक्षा
बाप से दिव्य जन्म पाते ही, बन गए मीठे बच्चे
कसम लेते हैं रहेंगे सदा, बाप समान हम सच्चे
बाबा के साथ करेंगे, विश्व कल्याण का कर्तव्य
इसीलिए मिला हमको, जन्म अलोकिक दिव्य
विश्व परिवर्तन की हमने, जगाई है मन में उमंग
सबके जीवन में भर देंगे, सुख शांति का हर रंग
ख़ुशी मनाओ अब, आने वाला है राज्य अपना
श्रीमत पर हम पूरा करेंगे, बाबा का यह सपना
अपने मन की गहराई में, बाबा की याद समाई
आने वाले सतयुग की, एक दूजे को देते बधाई
अपने राज्य में जाने की, करते हम सब तैयारी
बनते जा रहे हम, सम्पूर्ण स्वराज्य अधिकारी
श्रीमत पर बनाते हम, अपनी निर्विघ्न अवस्था
विघ्न विनाशक बनने की, हम कर रहे व्यवस्था
स्व परिवर्तन हम करते है, यथा शक्ति अनुसार
भरते जाते खुद में, निर्विघ्नता के सभी संस्कार
पुरुषार्थ करते मन की, आसक्तियाँ मिटाने का
कर लिया इरादा, विघ्नों को मार्ग से हटाने का
अटेंशन से मिटायेंगे हम, सारे विघ्नों का साया
अब हम नहीं डरेंगे, चाहे कोशिश कर ले माया
एक एक संकल्प की, हम चेकिंग करते जाएंगे
अटेंशन से पवित्र संकल्प, खुद में भरते जाएंगे
सच्चे दिल से हम बच्चों ने, मानी बाप की बात
संगमयुग में पकड़े रखेंगे, अपने बाबा का हाथ
शिव संदेश सुनाकर हम, करेंगे विश्व की सेवा
पावन बनकर पायेंगे, सतयुगी राज्य का मेवा ||
" ॐ शांति "
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