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सच्चे साधक की पहचान
𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi
तन मन और संकल्प से, जो न्यारा हो जाए
आत्मा के शुद्ध रूप में, वही पूरा टिक पाए
शाश्वत सत्य पर जो, मन केन्द्रित कर पाए
भविष्य की चिंता छोड़े, भूत उसे न सताए
मुक्त है जो विकारों से, आनन्द वही उठाए
विपदाओं में भी उसका, मन नहीं घबराए
सांसरिक सुखों से, करता जो पूरा किनारा
केवल उसने ही अपनी, आत्मा को निखारा
बंधन रूपी भ्रम से, जिसने पाया छुटकारा
भवसागर से उसने ही, ख़ुद को पार उतारा
आत्मरूप अपनाकर, जो साक्षी बना रहता
संतुलित मन से वो, ईश्वरीय धारा में बहता
जिसके जीवन का, मौन ही मुख्य आधार
अंतर्मुखी होकर वो, अपनाता श्रेष्ठ संस्कार
करो खुद में बैठे, उस साधक की पहचान
करो सच्ची साधना, तो खुश होंगे भगवान ||
" ॐ शांति "
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