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रावण की हस्ती मिट जाएगी

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

माया के रावण राज्य में ऐसा कोई सुराख कर
इसकी सारी हस्ती को जलाकर पूरा राख कर

टूटे बिना तोड़ना तुम इसके दुर्ग की हर दीवार
योग की अग्नि लगाकर जलाना पांचों विकार

मोटी और मजबूत हैं जंजीरें पांच विकारों की
शक्ति लगानी होगी तुझे हाथी घोड़े हजारों की

चिंगारी का रूप लिए विकार अवश्य आएगा
दामन मैला करके बदनामी का दाग लगाएगा

विकारों की ये चाशनी मन को बड़ा लुभाएगी
एक बार चिपक गई तो पूरा ही तुझे फंसाएगी

इसके किसी प्रलोभन में फंस नहीं तुम जाना
मोह और लगावट का हर आकर्षण ठुकराना

गलती से भी अगर पांच विकारों से तू हारेगा
तेरा स्वराज्य हीरा मुकुट रावण स्वयं उतारेगा

माया रावण की हस्ती यूं ही नहीं मिट पाएगी
हर पल हर दिन इसकी सूरत बदलती जाएगी

अपनी स्मृति में पूरा जिस दिन तू खो जाएगा
परमात्मा की सर्व शक्तियाँ खुद में भर पाएगा

बहरूपी इस माया को यही शक्तियां हराएगी
रावण की हस्ती फिर अवश्य ही मिट जाएगी |

ॐ शांति ||

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