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प्रीत बुद्धि की निशानी

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

प्रीत बुद्धि बच्चे सदा, अव्यक्त अलौकिक रहते
कमल पुष्प समान न्यारे, बाप के प्यारे रहते

समय विनाश का समझकर, जोड़े बाप से प्रीत
पवित्र बनकर निभाते, संगमयुग की दिव्य रीत

बुद्धि की लगन वे रखते, एक बाप से जोड़कर
वस्तु व्यक्ति वैभव से, हर नाता रखते तोड़कर

उनकी दृष्टि से बापदादा, ओझल कभी ना होते
प्रीत बुद्धि बच्चे बाप से, विमुख कभी ना होते

सदा प्रीत बुद्धि के बोल, वे मुख से कहते रहेंगे
कुछ भी सहना पड़े लेकिन, बाप के संग रहेंगे

उनका रूप रूहानी, अन्तर्मुखता को झलकाता
प्रभु प्यार से भरपूर, उनका चेहरा नजर आता

क्या करें ऐसा जो हम भी, प्रीत बुद्धि बन जाएं
ईश्वरीय प्यार का अनुभव, सर्व सम्बन्धों से पाएं

स्मृति रखना मेरा तन, एक पल में मिटने वाला
मेरा अन्तिम समय मुझे, पूछकर ना आने वाला

तुम्हें बाप की याद, यही स्मृति दिलाती जाएगी
और किसी की याद हमें, फिर ना कभी सताएगी

प्रीत बुद्धि बनकर जो, प्रीत की रीत निभाएंगे
सदा काल के लिए, सारे संसार के सुख पाएंगे

ऐसे प्रीत बुद्धि बच्चों का, बाप करते गुणगान
विश्व की बादशाही देकर, करते उनका सम्मान ||

" ॐ शांति "

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