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बदलो अपनी जीवन व्यवस्था
𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi
संगमयुग का अनमोल समय, व्यर्थ नहीं गंवाना
नाजुकपना त्यागकर, खुद को सेवाधारी बनाना
बाप की मदद कर बनना, ऊंच पद के अधिकारी
सहनशक्ति बढ़ाकर छोड़ना, बहानों की ये बीमारी
दुख भरे संसार में नहीं, कुछ भी अपने अनुरूप
जब चाहोगे शीतल छाँव, तो पाओगे तपती धुप
गर्मी जलाए सर्दी ठिठुराये, या होती रहे बरसात
करो ईश्वरीय सेवा लेकर, हाथ में बाबा का हाथ
माया की जंजीरों से, देहधारी नहीं छुड़ा पायेगा
केवल शिवबाबा ही, घर की तरफ उड़ा पायेगा
समझो मेरे बच्चों तुम्हारी, कैसे बिगड़ी तकदीर
देहभान ने आकर बनाया, तुम्हें पूरा ही फ़कीर
स्वर्ग का सुख पाने के लिए, इन्तजाम कर लो
अविनाशी ज्ञानरत्नों से, अपनी झोलियाँ भर लो
बाप की याद में रहकर, बनाओ एकरस अवस्था
श्रीमत अपनाकर बदलो, अपनी जीवन व्यवस्था ||
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