top of page
old paper bg.jpg

अमृत वेला का अनुभव (7)

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

उठा बाप की गोदी से खुद को फरिश्ता पाया
शायद बाप ने रात भर जागकर मुझे सजाया

पांव नहीं धरती पर मेरे मैं तो उड़ता ही जाऊं
मीठे रूहानी अनुभव का वर्णन कर ना पाऊं

मेरे आत्म बन्धुओं ये अनुभव तुम भी पाओ
अपनी दिनचर्या को रोज श्रीमत पर चलाओ

मुस्कान भरी देकर दृष्टि तूने मन मेरा हर लिया
भान ना हुआ कब तूने मुझे बाहों में भर लिया

जीवन संवर गया मेरा बस तेरी बाहों में आकर
मन ही मन इतराऊँ साजन मैं तुझको बनाकर

मेरे मीठे शिव बाबा शुक्रिया करूँ मैं कैसे तेरा
देवताओं जैसा बनाया तूने जीवन चरित्र मेरा ||

Suggested➜

golden waves in black bg.png

Get Help through the QandA on our Forum

bottom of page