top of page

अमृत वेला का अनुभव
𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi
बाप के पास आया मैं करने अमृत पान
संग बाप का पाकर पूरे हुए मेरे अरमान
अंदर जमी खाद निकली हर अवगुण की
बाप की दृष्टि से बरसात हुई हर गुण की
नस नस में भरा बाप का रूहानी प्यार
बाप के प्यार ने शुद्ध किये मेरे संस्कार
अमृत मैं बरसाने आया द्वार तूँ मन का खोल
होकर स्वच्छ बैठ मेरी याद में ॐ शांति बोल
नजर मिला ले मुझसे तूँ होकर तन से न्यारा
तुझ पर प्यार लुटाऊंगा खोलकर मैं भण्डारा
प्यार रूहानी भरकर दिन भर खुशी में रहना
कोई काम करने से पहले तूँ ॐ शांति कहना ||
Suggested➜

Get Help through the QandA on our Forum
bottom of page