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अमृत वेला का अनुभव
𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi
बाप के दिल दरवाजे पर जब दी मैंने दस्तक
अपनी रूहानी दृष्टि से चमकाया मेरा मस्तक
अनन्त रूहानी शक्ति का हुआ मुझमे संचार
ऐसे लगा जैसे मिट गये मेरे जीवन से विकार
पवित्रता की दिव्य मूरत बाबा ने मुझे बनाया
यही दिव्य रूप लेकर मैं लौट धरा पर आया
बाबा से नजर मिलते ही चोरी हुआ देहभान
देह मेरी निढ़ाल पड़ी जागा मेरा आत्मभान
छोड़कर देह का वस्त्र बाप के पास मैं आया
आत्म स्वतंत्रता का अनुभव मन में समाया
पाया मैंने सबकुछ जो देह में रहकर ना पाया
दिव्य गुणों से बाप ने मुझको धनवान बनाया ||
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