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ब्रह्माकुमारी शिवानी की जीवन कहानी (जीवनी)

ऑफिसियल जीवनी

अध्यात्मिक संस्था प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरिय विश्‍वविधयालय की शिक्षिका राजयोगिनी शिवानी बहेन को घर घर मे आज पहचाना जाता है l ब्रह्मा-कुमारी (बी.के) शिवानी बहन एक घरेलू नाम बन गई है।  वह 2007 में टेलीविजन श्रृंखला ‘अवेकनिंग विथ ब्रह्मा कुमारिस’ में दिखाई दीं।  बहन ने जीवन मूल्यों, आत्म-प्रबंधन, आंतरिक शक्तियों, रिश्तों में सामंजस्य, कर्म के कानून, उपचार, आत्म-सशक्तिकरण, आत्म-अनुशासन, बीके संगठन के बारे में, आध्यात्मिकता और जीवन जीने की कला पर कई एपिसोड दर्ज किए हैं।  दुनिया भर में कई लोग ‘अवेकनिंग श्रृंखला’ से लाभान्वित हुए हैं। यह आधिकारिक जीवनी पृष्ठ है, जो आपको बीके संगठन (बीके परिवार) के संबंध में शिवानी बहन के जीवन की यात्रा पर ले जाता है।

शिवानी बहन की कहानी

शिवानी वर्मा का जन्म 31 मई 1972 को पुणे सहर (महाराष्ट्र) में हुआ था।  उन्हें विज्ञान में रूचि थी और वह एक अच्छी छात्रा थीं। स्कूली जीवन के बाद, उन्होंने 'पुणे विश्वविद्यालय' में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का अध्ययन किया।  इस समय के दौरान, उनकी माँ ब्रह्माकुमारी के एक स्थानीय राजयोग केन्द्र के संपर्क में थीं। कॉलेज के बाद, उन्होंने विशाल वर्मा से शादी कर ली, जिनके साथ उन्होंने एक सॉफ्टवेयर व्यवसाय शुरू किया। कॉलेज की समाप्ति से पहले, हालांकि, शिवानी बहन अपने स्थानीय बी.के राजयोग केंद्र में भाग ले रही थीं और ब्रह्माकुमारी से जुड़ी हुई थीं।  भगवान का संदेश प्राप्त करने के बाद, उन्होंने अपने पति के साथ पूर्ण ब्रह्मचर्य के साथ रहने का फैसला किया, लेकिन शादी नहीं तोड़ी। शिवानी बहन यही ‘अवेकनिंग श्रृंखला’ पर सिखाती है।​

BK Sister Shivani official

BKGSU के साथ यात्रा

अपनी मां के व्यवहार और व्यक्तित्व में सकारात्मक अंतर को देखते हुए, शिवानी बहन ने बीके केंद्र में 7 दिन का कोर्स करने का फैसला किया और फिर सप्ताह में एक या दो बार वहां जाना शुरू किया। शिवानी बहन ने तब राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास सीखा, जिस दौरान उन्हें ईश्वर से जुड़ाव महसूस हुआ। धीरे-धीरे उन्हें एहसास हुआ कि वास्तव में भगवान सीधे यहां शिक्षा दे रहे हैं। उन्होंने विज्ञान के ज्ञान का उपयोग यह समझने के लिए किया कि कैसे  निराकार भगवान, एक माध्यम से दुनिया में अपनी भूमिका निभाते है। यह जानकर, वह भी नई दुनिया (सतयुग) लाने के मिशन में शामिल हो गई। इस पर और अधिक जानने के लिए इस पृष्ठ पर 'समाचार' पढ़ें।

विवरण में जाते है

शिवानी वर्मा 1994 तक विश्वविद्यालय की छात्रा थीं और फिर उन्होंने पुणे में 3 साल तक भारतीय विद्यापीठ कॉलेज में व्याख्याता के रूप में कार्य किया। इस अवधि के दौरान, उनकी माँ ब्रह्मा कुमारिस’ में एक नियमित छात्रा थीं। शिवानी ने अपनी मां के स्वभाव में उल्लेखनीय बदलाव देखा। वह बहुत शांत, प्यारी और भावनात्मक रूप से मजबूत हो गई। इससे शिवानी बहन को पास के बीके केंद्र पर जाने की प्रेरणा मिली। पहुंचने पर, उन्हें एक आत्मा (एक आध्यात्मिक सत्ता) के रूप में स्वयं के बारे में बताया गया था। उस केंद्र की बड़ी बहन ने ईश्वर के बारे में इस तरह से समझाया: "सर्वोच्च आत्मा को ईश्वर के रूप में जाना जाता है। वह हमारे प्रिय आध्यात्मिक पिता हैं। हम सभी उनके बच्चे हैं। भगवान कब आएंगे? बेशक, जब दुनिया इसके सबसे निचले चरण में  होगी, दुनिया के पिता को पूरी मानवता का उत्थान करने के लिए आना होगा और सच्चे धर्म को फिर से स्थापित करना होगा। " शिवानी बहन एक आत्मा के रूप में स्वयं के बारे में आश्वस्त थी, लेकिन यह स्वीकार करने में कठिनाई थी कि भगवान वास्तव में आए हैं और ज्ञान दे रहे हैं (जैसे कि मुरली, जो ब्रह्मा-कुमारियों में अध्ययन की जाती है)

शिवानी को बचपन से ही विज्ञान मे रूचि थी।  इसके कारण वो भगवान का अवतरण हुआ है - यह जान, इस बात का विरोध उनकी लौकिक माता के साथ करती थी l यह पहले पहले की बात हैl  फिर जब राजयोग के अभ्यास द्वारा उनको शांति और शक्ति का, वा परमात्म मिलन का अनुभव हुआ, तो शिवानी बहेन ने ज्ञान मे भी रूचि दी और समझा l

''यह बात की परमात्मा कोई शरीर धारी देवता नहीं, लेकिन एक निराकार ज्योति बिंदु है, प्रकाश और शक्ति स्वरुप है, मुझे समज में आयी क्युकी में विज्ञान की स्टूडेंट थी।'' - बि.के शिवानी (अवेकनिंग)

Interview (Hindi)

ब्रह्माकुमारी शिवानी की शिक्षाए
(Quotes of Brahma Kumari Shivani in Hindi)

१. हम सोचते है कि भगवान को याद करने से वो मेरा काम कर देगा लेकिन ऐसा नहीं है हम जब भी भगवान की याद में कोई काम करते है तो वो हमारी शक्ति को बढ़ा देता है, और असम्भव कार्य भी संभव हो जाते हैं।

२. यदि मै मन की आत्मा को व्यर्थ संकल्पों का बोझ ढ़ोने दूंगी तो भारीपन महसूस होगा और जल्दी ही थक जाऊंगी।

३. जब “मै“ को “हम“ से बदल दिया जाता है तो ‘कमजोरी’ भी ‘तंदुरुस्ती‘ में बदल जाती है।

४. एक मजबूत आत्मा अपने प्यार का इजहार कर सकता है. केवल वही आत्मा मजबूत हो सकती है जिसमें विन्रमता हो. एक कमज़ोर आत्मा हमें स्वर्थी बना देती है।  अगर हम खाली है तो हम दूसरों से लेते है, लेकिन अगर हम भरें है तो हम अपने आप ही सभी को देते रहते है. यही हमारा स्वभाव है।

 

५. किसी को भी दिया हुआ प्यार या दी हुई ख़ुशी हमेशा लौट कर वापस आती है संयोग से हम उस व्यक्ति से यह आशा भी रखते है।

६. अगर हमे किसी में कुछ पसंद नहीं आता तो हम आसानी से नकारात्मक बातों को बोल देते है. हम पहले अपने मन में उन भावों के बारे में सोचते है और गुस्से में उन पर अपनी प्रतिक्रिया दे देते है।  गुस्से में कही हुई बात स्वाभाविक रूप से अव्यवहारिक और अपमानजनक होगी. जोकि रिश्तों में एक खाई उत्पन्न कर देता है जिससे रिश्ते टूट भी सकते है।  किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से पहले हमें उसके व्यवहार के बारे में सोचना चाहिए और उसको समझने की कोशिश करना चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति के पास अपने व्यवहार को लेकर कुछ कारण होता है जिसको उस समय हम नहीं समझ सकते और उस समय उस व्यवहार पर अपनी प्रतिक्रिया देने से दुरी बढ़ जाती है।  इसलिए हमें उन्हें कुछ समय देना चाहिए. हमें उनमें कुछ सकारात्मक बातों और व्यवहार को पहचान कर सकारात्मकता की शुरुआत करनी चाहिए।


७. जीवन में आपकी सोच दुनिया के उपर ऊची उडान भरना है तो हवा में उडती उन पंछियों से शिक्षा ले, जो उन्मुक्त होकर अपनी उड़ान का आन्नद लेती है। आपके पास भी ऐसी क्षमता है कि आप समूह में सद्भावना के साथ उडान भर सकते है, और अपने आपको आनन्दित कर सकते है।

८. मुश्किल से हम अपने समय को बचाने की योजना बनाने की कोशिश करते है। हालांकि जब तक हम अपने दिमाग को स्थिर कर योजनाबद्ध तरीके से नहीं चलाते है तब तक हमारे मन में बेकार और नकारात्मक विचार आते रहेंगें, जिस वजह से हमारा बहुमूल्य समय बेकार होता रहेगा।  अगर योजना बना कर उस योजना पर समय पर अम्ल न कर पाए तो यह भी तनाव पैदा कर देता है।  इसलिए हमें योजना बनाने पर अपने समय को बर्बाद न करके अपने विचारों का अच्छी तरह इस्तेमाल करना चाहिए। आज से हम पुरे दिन में से अपने लिए 15 मिनट का समय निकालेंगे जो हमारे दिमाग को सकारात्मक उर्जा से भर देगा। अपने लिए समय लेने की सोच को हम कुछ दिनों तक बनाये रखेंगें ताकि अपने में हुए उस परिवर्तन को देख सके।
 

९. एक सकरात्मक विचार किसी भी स्थिति को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखता है।  जब मै एक सकारात्मक विचार को सोचती हूँ और इसे लगातार अपने मन के अंदर रखने लगती हूँ, तो मुझे ऐसा लगता है कि मेरे अंदर सकारात्मक उर्जा का प्रवाह हो रहा है और मेरे आस पास चीजें बदल रही है। असम्भव भी संभव में बदल रहा है और सब लोग मेरा सहयोग कर रहे है। आज सुबह मै फिर से एक सकारात्मक विचार के साथ शुरुआत करुँगी, चाहे नकारात्मक स्थिति हो तो भी मै अपने सकारात्मक विचार को बनाये रखूंगी।  ये सोच ही सकरात्मकता को लाती है और इस तरह के विचार हमेशा जारी रहे तो मुझे ऐसा लगता है कि ये हर स्थिति को बेहतर बनाये रखने में संभव हो सकते है।
 

१०. जब हम मजबूत सोच के साथ किसी भी कमज़ोरी को कम करने या खत्म करने की कोशिश करते हैं, तो हमें अपने आप ही कुछ सदाचारी गुण उपहार स्वरुप प्राप्त होते है।  कमजोरी को ख़तम करने की कोशिश ही हमारे अंदर गुण लाते है, लेकिन हम ऐसा सोचते है कि हम में कुछ परिवर्तित नहीं हो रहा है लेकिन अंत में निश्चित रूप से हमारे अंदर कुछ सदाचारी गुण प्राप्त होते है।  इसलिए यह महत्वपूर्ण हों जाता है कि हम अपनी कमजोरियों को पहचान कर उसको दूर करने के लिए प्रयास करते रहे।  चाहे इसका लाभ हमे तुरंत दिखाई दे या न दे।  आज मै अपनी कमजोरी को पहचान कर दूर करने की कोशिश करुँगी, इसके लिए एक योजना बनाउंगी और अपनी कमज़ोरी को पूरी तरह से हटाने की कोशिश करुँगी।  समय समय पर मै अपनी इस योजना की समीक्षा भी करुँगी और इस प्रक्रिया से अपने अंदर विकसित हुए गुणों को उपहार समझ कर इसकी सराहना करुँगी।

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