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मातृत्व दिवस (Mother's Day)

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

केवल माँ ही अपनी, जान मुझ पर वारती
कहीं जाऊँ या आऊँ, आरती मेरी उतारती

मेरी कामयाबी पर, उसको रहता विश्वास
हारकर भी आया तो, न होने दिया उदास

खुद से भी ज्यादा, करती वो मुझसे प्यार
ढ़ाल बनकर सहती वो, विघ्नों के हर वार

हाथों से निकाल देती, मेरे पांव का काँटा
मेरी गलती पर वो, लगाती मुझको चाँटा

बीमार मैं हो जाऊँ, तो पलकें न झपकाती
मुझे दुखी देखकर, अपने नयन छलकाती

हीरों से भी अनमोल, हमारी माँ की हस्ती
माँ के कारण रहती, सर्व सुखों की बस्ती

केवल माँ ही बनाती, हमारा चरित्र महान
मिला माँ के रूप में, हम सबको भगवान

माँ की छत्रछाया में, खुशियों की है खान
जब तक संग हमारे, करों माँ का सम्मान ||

" ऊँ शांति "

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