top of page
old paper bg.jpg

गया समय ना आएगा

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

विकारों में फंसकर, बिगड़ी है जीवन की चाल
गाकर राग वैरागी काट, माया का मकड़ जाल

कुछ क्षण तो सोच जरा, कौन साथ निभाएगा
धन दौलत का खजाना, पड़ा यहीं रह जाएगा

चंद दिनों का जीवन शेष, न जाने कब हो पूरा
स्वयं को पावन बनाने का, निभा दायित्व पूरा

तेरे किसी कर्म का फल, व्यर्थ कभी न जाएगा
संयम और मर्यादा से ही, जीवन मुक्ति पाएगा

त्याग तपस्या करके, जीवन सफल हो जाएगा
अपने भाग्य की रेखा, तू खुद ही खींच पाएगा

मिट्टी का है तन ये तेरा, मिट्टी में मिल जाएगा
तेरा अन्तर्मन ये कहता, गया समय न आएगा ||

" ॐ शान्ति "

Suggested➜

golden waves in black bg.png

Get Help through the QandA on our Forum

bottom of page